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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: हार्दिक शुभकामनायें

करार विन्दे न पदार विन्दम् ,

मुखारविन्दे विनिवेश यन्तम्। वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम् , बालम्मुकुंदम् मनसा स्मरामि।

वट वृक्ष के पत्तो पर विश्राम करते हुए, कमल के समान कोमल पैरों को, कमल के समान हाथों से पकड़कर, अपने कमलरूपी मुख में धारण किया है, मैं उस बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं ॥

श्री नाथ विश्वेश्वर विश्व मूर्ते, श्री देवकी नन्दन दैत्य शत्रो जिव्हे पिबस्वामृत मेतदेव, गोविन्द दामोदर माधवेति ॥

हे प्रभु! हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी! हे विश्व स्वरुप! देवकी नन्दन, दैत्यों के शत्रु , मेरी जिव्हा सदैव आपके अमृतमय नामों गोविन्द, दामोदर, माधव का रसपान करती रहे ॥

॥ जय श्री कृष्ण ॥


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