top of page

त्रिपुरंतकेश्वरा मंदिर

  • Writer: Capt SB Tyagi
    Capt SB Tyagi
  • Jul 22, 2020
  • 1 min read

#त्रिपुरंतकेश्वरा_मंदिर (शिवमोग्गा,कर्नाटक)


नाग और नागिन की नृत्य करते हुए जीवंत कालजयी कलाकृति.


एक ही पत्थर को तराश कर .... क्या ये सिर्फ छेनी- हथौड़ी के प्रयोग से संभव था ?


यदि मैं अपने शब्दों में व्याख्या करूं तो सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि यह कलाकृति लावा पत्थरों को पुनः पिघलाकर ढ़ाली गई हैं जिसके लिए कम से कम 3000℃ से 4000℃ के तापमान की आवश्यकता रही होगी आज के समय में भी इस प्रकार से पत्थरों को पिघलाकर मूर्तियों का निर्माण करना संभव नहीं है। कौन ये वह लोग जिन्होंने इन मूर्तियों का निर्माण किया और ऐसी कौन सी परिष्कृत तकनीक उनके पास थी कि वह शीशे के समान चमकदार मूर्तियों का निर्माण कर सकते थे उनके पास वह कौन से उन्नत उपकरण थे जो आज हमारे पास नहीं है और वह उन्नत उपकरण उनको कहां से और किस प्रकार प्राप्त हुए यह पूरे विश्व के लिए अबूझ पहेली के समान है।


त्रिपुरंतक या त्रिपुरंतकेश्वरा मंदिर,कर्नाटक राज्य में, शिवमोग्गा जिले के बल्लीगाव शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह बैंगलोर से लगभग 346 KM दूर और मैसूर से 287 KM दूर स्थित है।


त्रिपुरंतक मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो बल्लीगाव शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित है।


यह 11 वीं शताब्दी ईस्वी में पश्चिमी या बाद में चालुक्यों द्वारा बनाया गया था मंदिर के मुख्य देवता त्रिपुरंतक हैं, जो भगवान शिव का एक रूप है, मंदिर चालुक्यों की स्थापत्य शैली का प्रतिनिधित्व करता है।


🔱🔱🔱हर हर महादेव🚩🚩🚩


 
 
 

Comments


Featured Posts
Recent Posts
Check back soon
Once posts are published, you’ll see them here.
Archive
Search By Tags
Follow Us
  • Facebook Basic Square
  • Twitter Basic Square
  • Google+ Basic Square
bottom of page